स्वर्णिम युग की महिमा
स्वर्णिम युग की महिमा कितनी आलौकिक न्यारी,देवी देवताओं वाली दुनिया वहीँ है प्यारी
सुखदायी जहा सूरज,चंदा शीतलता देता,वहां का हर सितारा शांति का दान देता। 16 कला से संपूर्ण सब रहते है नर नारी,देवी देवताओं वाली दुनिया यही है न्यारी
इच्छा मात्रम अविद्या यहां सदा रहते,हर पल नहीं जीवन मे नही कमी रहती
हीरे jawaharo के महल जहां निराले,पावन रहते सब ही पीते अमृत प्याले
ताज तिलक तख्त से हर आत्मा रहे shringari
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